जमुई में साइकिल यात्रा के माध्यम से हरियाली और जैविक खेती को बढ़ावा
जमुई

472वीं साइकिल यात्रा: पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती का संदेश लेकर दौलतपुर पहुंची टीम
जमुई, 19 जनवरी 2025:
“साइकिल यात्रा एक विचार” के बैनर तले पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती के महत्व को जागरूक करने के लिए 472वीं साइकिल यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा रविवार सुबह 7:00 बजे जमुई प्रखंड परिसर से शुरू होकर दौलतपुर गांव में समाप्त हुई। इस यात्रा का उद्देश्य ग्रामीणों को पर्यावरणीय जागरूकता और जैविक खेती के लाभों से अवगत कराना था।
जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर
यात्रा के दौरान सदस्यों ने ग्रामीणों को बताया कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी की उर्वरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने समझाया कि जैविक खेती अपनाने से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। जैविक खेती में प्राकृतिक खाद और जैविक अवशेषों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की जल संग्रहण क्षमता और भूरभूरापन बना रहता है।
पौधारोपण अभियान
यात्रा के दौरान दौलतपुर गांव में प्रमोद कुमार मंडल की निजी भूमि पर 30 पौधे लगाए गए। वृक्षारोपण के माध्यम से ग्रामीणों को संदेश दिया गया कि पेड़ पर्यावरण को स्वच्छ और संतुलित बनाए रखते हैं। पेड़ों से स्वच्छ हवा, मिट्टी संरक्षण और जलवायु संतुलन में सुधार होता है।
सदस्यों और ग्रामीणों की भागीदारी
इस प्रेरणादायक यात्रा में “साइकिल यात्रा एक विचार” के सदस्य शेषनाथ रॉय, संजय कुमार, रणधीर कुमार, विनय कुमार, राहुल कुमार सिंह, शरद कुमार, राहुल ऋतुराज, और हरेराम कुमार सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई। ग्रामीणों में प्रमोद कुमार, अदित्य कुमार, राजन कुमार, रवि कुमार और अन्य ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
यात्रा के अंत में ग्रामीणों ने जैविक खेती अपनाने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने का संकल्प लिया। सदस्यों ने सभी से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करें। उन्होंने बताया कि यह प्रयास न केवल वर्तमान के लिए बल्कि भावी पीढ़ी के लिए भी एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करेगा।
संदेश:
“हरियाली से भरा पर्यावरण, सुरक्षित और स्वस्थ जीवन।” इस प्रेरक यात्रा ने न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि जैविक खेती को अपनाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित भी किया।