547 दिन पागलखाने में बिताकर लिखा उपन्यास: ऋत्विक आर्यन की ‘आउट ऑफ मैडनेस’ ने किया सबको हैरान
पटना

547 दिन पागलखाने में बिताकर लिखा उपन्यास ‘आउट ऑफ मैडनेस’: ऋत्विक आर्यन की संघर्ष, प्रेम और आत्मनिरीक्षण की प्रेरक कहानी
बिहार के सीतामढ़ी निवासी ऋत्विक आर्यन ने अपनी पहली किताब ‘आउट ऑफ मैडनेस’ के माध्यम से साहित्य जगत में एक अनोखी छाप छोड़ी है। उनकी इस कृति को खास बनाती है इसका निर्माण — पागलखाने में 547 दिन बिताने के दौरान लिखा गया यह उपन्यास। यह कहानी मानसिक स्वास्थ्य, आंतरिक संघर्षों और जटिल मानवीय भावनाओं की एक गहरी पड़ताल करती है।
कहानी की पृष्ठभूमि
‘आउट ऑफ मैडनेस’ एक 24 वर्षीय असिस्टेंट प्रोफेसर की कहानी है, जो नालंदा में मनोविज्ञान पढ़ाता है। उसकी जिंदगी में आए कुछ व्यक्तिगत और भावनात्मक झटके उसे मानसिक तनाव की गहराइयों में धकेल देते हैं। धोखे और हानि से जूझते हुए, वह पागलखाने पहुंच जाता है।
पागलखाने में रहते हुए, उसकी मुलाकात एक पूर्व अभिनेत्री से होती है, जो ड्रग्स की लत से जूझ रही है। इन दोनों पात्रों के बीच उभरता प्रेम और उनके संघर्षों की कहानी इस उपन्यास को संवेदनशील और गहराई से भर देती है। यह एक ऐसी यात्रा है जो पाठकों को रिश्तों, मानसिक स्वास्थ्य और आत्मनिरीक्षण के पहलुओं पर गहराई से सोचने को मजबूर करती है।
ऋत्विक आर्यन की प्रेरणा
ऋत्विक ने इस कहानी के लिए प्रेरणा एक यूट्यूब वीडियो से ली थी, जिसमें एक युवा जोड़े की संघर्षपूर्ण कहानी दिखाई गई थी। उन्होंने इस किताब को लिखने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय की पढ़ाई भी छोड़ दी। उनका मानना है कि पागलखाने में बिताया गया समय उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन सबसे अधिक सृजनात्मक और आत्मनिरीक्षण से भरा दौर था।
पागलखाने में रहकर, उन्होंने न केवल अपनी पुस्तक की कहानी को आकार दिया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को भी व्यापक किया। ऋत्विक के अनुसार, “यह एक कठिन अनुभव था, लेकिन इसने मुझे खुद को और अपने आस-पास की दुनिया को समझने का नया दृष्टिकोण दिया।”
प्रकाशन और समाज पर प्रभाव
*’आउट ऑफ मैडनेस’* को ‘ब्लूवन इंक पब्लिशर्स’ द्वारा प्रकाशित किया गया है, जो पहले भी कई प्रसिद्ध पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है। यह उपन्यास पाठकों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने और इसे सामाजिक बातचीत का हिस्सा बनाने की प्रेरणा देता है।
इस किताब में मानसिक स्वास्थ्य की जटिलताओं के साथ-साथ, यह भी दिखाया गया है कि कैसे प्रेम और आत्म-स्वीकृति किसी व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। यह उपन्यास न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने का भी काम करता है।
ऋत्विक की अनूठी यात्रा
ऋत्विक आर्यन की यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत संघर्षों की कहानी है, बल्कि यह साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों में भी सृजन और प्रेरणा के लिए जगह बनाई जा सकती है। उनका उपन्यास इस बात का प्रमाण है कि मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करना जरूरी है और यह हमारी सामाजिक और व्यक्तिगत भलाई के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
यह किताब केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक संदेश है — आत्मनिरीक्षण, संघर्ष और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने का। ऋत्विक का यह प्रयास साहित्य और समाज दोनों के लिए प्रेरणादायक है।