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हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ने का किया ऐलान, कहा- “मुझे टारगेट किया गया”

प्रयागराज, महाकुंभ

महाकुंभ में हर्षा रिछारिया का दर्द: “मुझे टारगेट किया गया, अब कुंभ छोड़ूंगी

 

प्रयागराज: महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद सुर्खियों में आईं हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ने का ऐलान किया है। हर्षा ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि वह अब इस धार्मिक आयोजन में नहीं रह सकतीं, क्योंकि उन्हें जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है और उनके चरित्र पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

 

हर्षा ने संवाद में बताया, “मैं न कोई मॉडल हूं और न ही संत, मैं सिर्फ एक साधारण शिष्या हूं। मुझे संतों द्वारा अपमानित किया गया है, और आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।”

 

महाकुंभ में हर्षा की उपस्थिति को लेकर विवाद खड़ा हुआ था, खासकर तब जब वह भगवा शॉल पहने हुए पेशवाई के रथ पर संतों के साथ सवार दिखीं। इस पर कई संतों ने आपत्ति जताई थी। हर्षा ने आरोप लगाया कि मीडिया ने जानबूझकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की और उनका ध्यान केंद्रित कर उन्हें गलत तरीके से ट्रोल किया गया।

 

“मैंने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया,” हर्षा ने कहा। “अगर मैंने भगवा शॉल पहना तो यह गर्व की बात होनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा।”

 

हर्षा ने यह भी बताया कि वह महाकुंभ में धर्म और संस्कृति को जानने और समझने के लिए आई थीं, और उन्होंने युवाओं को प्रेरित करने का प्रयास किया था, लेकिन कुछ लोगों ने उनके प्रयासों को नकारा और उनके पास आए इस मौके को छीन लिया।

 

हर्षा ने कहा कि उनका महाकुंभ में आने का उद्देश्य सिर्फ एक धार्मिक अनुभव प्राप्त करना और सनातन धर्म को समझना था, लेकिन अब वह महसूस करती हैं कि उनका यह प्रयास विफल हो गया है।

“यहां पर कुछ लोग मुझे सिर्फ मेरी पुरानी तस्वीरों और मेरी पहचान के आधार पर जज कर रहे हैं,” हर्षा ने कहा। “अगर किसी के पास पश्चिमी संस्कृति में जाने का हक है, तो उसे अपने धर्म और संस्कृति को समझने का भी उतना ही हक होना चाहिए।”

 

अब हर्षा ने निर्णय लिया है कि वह महाकुंभ छोड़कर चली जाएंगी, क्योंकि वह अब यहां अपनी मर्यादा में नहीं रह सकतीं और उनका अनुभव उनके लिए कष्टदायक बन चुका है।

 

रिपोर्ट: अमित सिंह

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