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बिहार में मृत शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगने पर शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल

आरिया

बिहार में मृत शिक्षक से स्पष्टीकरण मांगने पर शिक्षा विभाग की किरकिरी

अररिया: बिहार में शिक्षा विभाग की लापरवाही का नया मामला सामने आया है। अररिया जिले के डीपीओ स्थापना कार्यालय ने 1024 शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है, जिनमें 11 ऐसे शिक्षक शामिल हैं, जिनकी मौत 2024 में हो चुकी है। इस चौंकाने वाली घटना ने विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मृत शिक्षकों से जवाब तलब: डीपीओ स्थापना रवि रंजन के पत्रांक 184 (18-01-2025) के तहत अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों से कारण पूछा गया है। हैरानी की बात यह है कि जिन 11 शिक्षकों को नोटिस भेजा गया है, उनमें परमानंद ऋषिदेव, मंजूर आलम, नसीम अख्तर, विश्वबंधु ठाकुर, अफसाना खातून, मो. कासिम, सादिक अनवर, बीबी नहार, अंतेश कुमार सिंह, देवानंद मंडल और मनोज कुमार पटवे शामिल हैं, जिनका निधन 2024 में हो चुका है।

डीपीओ ने बीईओ और प्रधानाध्यापक को ठहराया दोषी: डीपीओ रवि रंजन ने इस मामले में संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और बीईओ को दोषी ठहराते हुए कहा कि मृत शिक्षकों की जानकारी समय पर विभाग को नहीं दी गई। उन्होंने चेतावनी दी कि लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षक संघ का विरोध: प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अब्दुल कुद्दूस ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि समीक्षा के बिना इस तरह के निर्देश जारी करना विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सर्वर की समस्या के कारण कई शिक्षक अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं करा पाए हैं।

सिस्टम की खामियां उजागर: शिक्षा विभाग की इस भूल ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि यदि सरकारी लिस्ट में ये शिक्षक जिंदा हैं, तो क्या उनकी सैलरी भी अब तक जारी हो रही है? यदि ऐसा है, तो यह एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है। शिक्षक संघ ने इस मुद्दे की गहन जांच की मांग की है।

शिक्षा विभाग की चुप्पी: जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संजय कुमार ने इस मामले पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और इसे डीपीओ का मामला बताया।

निष्कर्ष: इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर किया है। सवाल यह है कि क्या इस लापरवाही पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

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